The power of thought

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Sunday, November 15, 2009

प्रतीक्षा में


हिन्दुस्थान। एक ऐसा राष्ट्र आज जिसका नाम लेते ही याद आते है वे सत्तालोलूप राजनेता जो स्वार्थसिद्धि के लिए किसी भी सीमा तक जा सकते हैस्वहित के लिए राष्ट्रहित की बलि चदा  सकते है। याद आती है वह मूर्ख उत्तेजित जनता जिसकी यादाश्त   सप्ताह से ज्यादा नही चलती, याद आतेहै वे लोग जो किसी भी बड़े निर्णय को करने से कतराते हैऔर भेड़-चाल मे चलते रहते है , जिसकी जय हो वे उसमे शामिल हो जाते है

आम आदमी तो अब आदमी रहा ही नही ,बढती मंहगाई ने जहा उसकी कमर तोड़ दी है वही आतंकी  हमले इस आम आदमी को धरती से विदा करने की पुरा प्रयास कर कर रहे है,जो चले गए वो दुर्भाग्यशाली और जो बच गए वो अगला शिकार in waiting । 
        यहाँ की जनता   अपना  "शौर्य "   भूल चुकी है. 

देश मे आज अनेको तकनीकी शिक्षण संस्थानों को खोला जा रहा है ,यह सरकार की कुशलता का प्रमाण  है , लेकिन    इन संस्थानों का स्तर जो गिरते जा रहा है उसकी साबशी कौन लेगा । सेना मेंबढ़ता असंतोष एक संकेत मात्र है आगामी खतरे का ,जब प्रहरी ही नाराज़ हो तो देश की संप्रभुत्ता परआंच क्यो  आए । गत  वर्षो मे हम ने क्या कुछ सहन नही किया ,वस्तुतः सत्य तो यह है की हमपरिवर्तन नही चाहते है ,हमने परिस्थितियों से संधि कर ली है ,और या भी वही इस कमजोरी कापरिचय हर जगह देते है ,भीड़ से भरी रेल-गाड़ी के डिब्बे मे एक सज्जन अत्यन्त विरोधो को सहतेहुए बढ़ते है और थोड़े समय बाद अपने प्रयासों से एक जगह बैठ जाते है , तभी उनकी नज़र दुसरे नवयुवक पर पड़ती है जो भीड़ को चीरते हुए अपना स्थान खोज रहा है उसे देखते ही सबसे पहले वो ही भिनभिनाते है "कहाँ कहाँ से आ जाते है " ५ मिनट पहले वो भी इसी स्थान पर खड़े थे . यह १ उदाहरण मात्र नहीं है , यह आज की राजनीती का परिद्योतक है , यहाँ के  राजनेता खुद जिन मुश्किलों का सामना कर चुके होते है वो उन्ही मुश्किलों से आम आदमी को घिरा देख कर खुसी महसूस  करते है.......
    यहाँ की  जनता  अपनी नैतिकता भूल चुकी  है
आज अपने देश की कोई भी समस्या हो , चाहे भ्रष्टाचार  , या कोई भी अन्य समस्या लोग सिर्फ कोसना ही जानते है , सारे लोग सिर्फ पूछेंगे की "इस समस्या से हमे मुक्ति कौन दिलायगा" स्वयं को पीछे रख कर दूसरों की प्रतीक्षा में ही जीवन व्यतीत कर देते है .......सबसे ज्यादा समस्याओ से भी वही घिरे रहते है ....इस देश मई सर्वाधिक गलतिया भी उन्ही को  दिखाई पड़ती है ...कुछ सुधारने के बजाय वे दुसरो की प्रतीक्षा करना पसंद  करते है'....और उसमे भी अपनी राय देना नहीं भूलते .......
  यहाँ के लोग खुद को ही भूल चुके है ............


हर किसी को हर किसी की प्रतीक्षा हमेशा से ही रही है , सुग्रीव को हनुमान की थी , श्री राम को हनुमान की थी, दिनकर को परशुराम की थी , पर भारत को किसी  भी शक्ति की की प्रतीक्षा नहीं है ....उसे प्रतीक्षा है तो बस जाम्बवंत की जो उसके वीर सपूतों को उनके अपने शौर्य की याद दिला सके . जिस इन्सान ने खुद को पहचान लिया वो कुछ कर गया जिस दिन हिन्दुस्थान के सारे सपूत अपने आप को पहचान जायेंगे हिन्दुस्थान पुनः विश्व गुरु बन जायेगा 




प्रतीक्षा है तो बस जाम्बवंत की....

Sunday, November 8, 2009

भज भज मण्डली का सच

आज जब फिर से हमारे देश के आम चुनाव सामने है तो सभी दल एक दुसरे पर कीचड़ उछालने का काम आसानी से कर रहे है। और आख़िरकार करे भी तो क्यो आज इस देश के सारे वीर सपूत चुप जो है , आज हमारे वो सुरवीर ख़ुद को भुला बैठे है पता नही क्यो ? आज हिन्दुस्थान मे ही हिंदू पैदा होना गुनाह हो गया है पर कोई करेभी तो क्या आख़िरकार ईश्वर के इस फैसले पर किसी का बस चला है आज तक तो इन सूरविरो का चलतासमूचे विश्व मे एक ही तो देश था हिन्दुस्थान जिसे सारे विश्व के हिंदू एक आदर की द्रिस्थी की देखते थे पर अफ़सोस वो देश भी आज उनका रहा , ईसाईयों के लिए अपना देश कहने को बहुत से स्थान है अमेरिका है,ब्रिटेन हे,फ्रांस है, मुस्लिमो के लिए भी कमी नही है अरब है,ग्रीस है,बगल मे ही अफ़गान है, पाक है पर उन बेसहाय हिन्दुओ का कौन है ? कोई भी तो नही ............

इस देश में आज तथाकथित रूप से सब मे स्वयं को धर्म-निरपेक्ष दिखाने की होड़ लगी है,मै हूँ धर्म-निरपेक्ष

सब यही तो दिखाना चाहते है पर कोई आज ये नही सोच रहा है की इस का देश पर क्या असर पड़ रहा हैएकलव्य आज बहुत ही प्रसन हो रहा होगाआज इस देश मै सेकुलर साबित करने को बस दो ही रास्ते शेष रह गए है



  1. (अगर आप में थोडी शर्म बाकी है ) यीशु महान थे ,पैगम्बर महान थे



  2. (यदि आप पुरी तरह बेशर्म है )राम ............ये कौन था , कौन हनुमान अच्छा वो कहानी वाला


मेरे भाइयो धर्म निरपेक्ष छवि बनाए रखने को क्या सिर्फ़ यही दो रास्ते रह गए है क्या मैं नही मानता .आज कोई भी मसला हो जो भी दल राम या हिंदुत्व की बात करेगा वो संप्रादियक है .........ऐसा सिर्फ़ हिन्दुस्थान  में ही सम्भव है और कही नही


वक़्त की पुकार को समझने वालों की आवश्यकता है आज हिन्दुस्थान को 


       कल नुमाइश में मिला , वो चिथड़े लपटे हुए
       मैंने पुछा नाम , तो बोला की में "हिन्दुस्थान" हु
कानून कहता है की वो सब के  लिए बराबर है , तो फिर कैसे आज इस देश में "जय श्री राम " कहना  संप्रादियक है तो 
अजान पर "अल्लाह हो अकबर " की आवाज   संप्रादियक उन्माद कैसे नहीं है....
 हज पर जाने  वालो के  लिए अनुदान सरकारी सहायता तो मानसरोवर की यात्रा के  लिए दी गयी राशि पक्षपात कैसे हो गयी