The power of thought

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Monday, November 7, 2011

ऑटो वाला 


दिल्ली की चिलचिलाती धुप में 
सवारी की तलाश में 
यहाँ से वहाँ भटकता हुआ,
परेशान दिखता है,वो ऑटो वाला |

घरवालों का पेट पालने को 
पांच रुपये की झिक झिक करता है ,
सवारी की गाली सुनकर भी 
मंजिल तक पहुंचाता है, वो ऑटो वाला |

संत भाव से निर्लिप्त रह 
कनाट-प्लेस की चकाचौंध और
मुनिरका की तंग गलियों से
विरक्त रह ,सवारी तलाशता है,वो ऑटो वाला |

उम्र की ढलान पर 
जब होती है चाह आराम की
पालने को घर का पेट 
रह भूखे भटकता है, वो ऑटो वाला |

अब दिल्ली की इस कंपकपाती ठंड में 
चार पैसे कमाने की जुगत में,
यहाँ से वहाँ भटकता हुआ 
सवारी की तलाश में 
है परेशान बैठा हुआ वो ऑटो वाला ||