The power of thought

The power of thought

Saturday, July 16, 2011

अनंत की तलाश में

अनंत की तलाश में भटकता हूँ,
प्रकाश की डोर तलाशता हूँ |
देर रात तक जगता हूँ ,
बाँध टकटकी तारे तकता हूँ|
वीरान उजाड़ हवेली में अब भी रहता हूँ

मैं अनंत की तलाश में भटकता हूँ ||
 
हर रात डरकर सोता हूँ ,
सूरज की किरणों से भी अब घबराता हूँ |
क्यूँ जाने से बाहर कतराता हूँ,
कुशलक्षेम पूछे को व्याकुल रहता हूँ |
माचिस की तीली से भी डर जाता हूँ 
 
अब हर रात मैं डरकर सोता हूँ ||

मीठी मीठी बातों से झुँझलाता हूँ,
तीखे व्यंग्य हंसकर झेल जाता हूँ |
दोस्तों के साथ जाने से डर जाता हूँ,                                  
दुश्मनों संग बैठ ठहाके लगाता हूँ |
 किसी पर नही अब विश्वास कर पाता हूँ 

क्यूँ मीठी मीठी बातों से झुँझलाता हूँ ||
 
नेताओं की करता पूजा हूँ,
प्रताप-शिवा को देता गाली हूँ |
दुर्जन संग खुशियाँ लुटाता हूँ,
सज्जनो से परे हट जाता हूँ|
अमावस की रात चाँदनी नहाता हूँ

 मैं अनंत की तलाश में भटकता हूँ ||