स्याह,सुर्ख से आगे है
ये सुलझाने से आगे है
उलझन में उलझन भर जाये है
चूहा बिल्ली को खाए है
सागर में बादल ते दिख जाये है
आसमान में नाव उड़ जाये है
यह स्याह सुर्ख से आगे है ।।
जो काले से भी काला हो
वो काला जो उजियारे को भी
कर जाता काला हो ।
नीला हो जाता काला है
पीला हो जाता काला है
पर काला तो खुद में काला है
ये सुलझाने से आगे है
यह स्याह सुर्ख से आगे है ।।
तेजी से है यह बढता जाता
नीचे से उपर , मानो
यों है उड़ता जाता ।
फैलता विष फैलता है
सिकुड़ता न जाने क्यों है ?
कल वहां है कल वहां है
कल वहां भी है
ये सुलझाने से आगे है
यह स्याह सुर्ख से आगे है ।।
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