यह जो भी हुआ क्या उसके लिए वाकई पुरुष दंभ या जो भी कारण बताया जा रहा है वही दोषी है ? या कापुरुषता व नपुंसकता ? क्या समाज दोषी नहीं ? क्या लडकियों के माता-पिता दोषी नहीं ? क्या विद्यालय -विश्वविद्यालय दोषी नहीं ? क्या सरकार दोषी नहीं ? क्या हम उम्र दोषी नहीं ? क्या साहित्यकार दोषी नहीं या रचनाकार ? इस हमाम में वस्त्र धारण कर कौन खड़ा है? नग्नता तो हर ही और है अंतर : सिर्फ यही है कोई भौतिक नग्न है तो कोई वैचारिक।
हर जगह पुरुषों का यह कथन हर इस दुर्घटना के बाद प्रचलित हो जाता है "मैं शर्मिंदा हूँ " और उस पर नारी की यह टिपण्णी की "एक नारी की और से धन्यवाद " अजी छोड़िये यह बहाने और आइना देखिये । क्या वाकई हम शर्मिंदे हैं ? हाँ , क्युकी यह हमारी नपुंसकता को छिपाने का सबसे सरल उपाय है । अब यह तो एक रोज मर्रा की घटना बन चुकी है। जिन घटनाओ को जगह नहीं मिली उनका क्या ? किस दिन के समाचार पत्र में किसी बलात्कार की खबर नही होती ,होती है प्रत्येक दिन होती है , पर एक नपुंसक क्या कर सकता है ,सिवा शर्मिंदा होने के ? अपनी पत्नी से , अपनी बहन ,अपनी बेटी अपनी माँ और खुद से ?
हम इसके आदि हो चुके है । दिल्ली में फिर एक मोमबत्ती जुलुस निकलेगा फिर से नारे लगेंगे,कल फिर किसी जज का बयान आयेगा ,यह मामला सीबीआई को जायेगा,मुकदमा चलेगा पर फिर क्या ? क्या वाकई में कोई उपाय है या हम केवल शर्मिंदा होने के आदि हो चुके है । हम गुस्सा कब करेंगे ? कब हम किसी समाधान की और चलेंगे ? आज एक लड़की आधी रात को बलात्कार की शिकार हो सकती है चाहे वो दिल्ली में हो या सिर्फ पांच हजार की आबादी वाले किसी गाँव में,और यह हम तब स्वीकारते है जब घर की कोई लड़की शाम के धुंधलके में अकेले बाहर जाने की जिद करती है और अंगरक्षक की तरह उसका 10 वर्षीय भाई उसके साथ जाता है । एक 10 वर्षीय बालक एक 20 वर्षीय नवयुवती का अंगरक्षक बना दिया जाता है । क्या यह प्रथा स्वीकार्य होनी चाहिए ? क्यूँ न विद्यालयों में लडकियों के लिए शारीरिक प्रशिक्षण अनिवार्य की अनिवार्य व्यवस्था की जाये ? क्यों न हर जिले में लडकियों के लिए इस तरह की व्यवस्था की जाये ? क्यों न बचपन से ही उन्हें मानसिक व् शारीरिक रूप से सुदृढ़ करने का प्रयास किया जाये ?
क्यों न हम अब और शर्मिंदा न हो ? क्यों न हम अब गुस्सा करे ? क्यूँ न अपने गुस्से को एक साकार रूप लेने का अवसर प्रदान करें
मैं आज शर्मिंदा नहीं , मैं गुस्से में हूँ । और आप ?
very difficult to read. please write in Hindi! :)
ReplyDeletedude....its in hindi :)
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