The power of thought

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Monday, March 5, 2012

पर धरती नहीं फटी

"तुम सभी वन्चित्तो को न्याय मिलेगा " धरती पुत्र ने कहा ।
"हाँ... हाँ...तुम सही हो  "....
"तुम सभी ...हमारे साथ बैठा करो ...."
"तुम देव-पुत्र हो....हमारे भगवान "
यह सब सुन धरती पुत्र की बेटी भी बहुत आनंदित हुई ।
"हमारा रिश्ता खून का हैं ...रोटी का.....बेटी का .."
हमारा जीवन धन्य हैं ...जो हम तुम से मिले "
"पिता जी मैंने सुरेश से विवाह कर लिया ..." धरती पुत्र की बेटी 
प्रसन्न हो धरतीपुत्र ने मिठाई मंगवाने को कह पूछा "सुरेश कौन  है ?"
"एक हरिजन जिसके घर जाते रहते हैं आप , जो आपका सबसे प्रिय है "
धरतीपुत्र की आँखों में खून उतर आया । पर धरती नहीं फटी ।।

2 comments:

  1. सुना है बाजार में जो चीज कम दिखती
    उसकी कीमत ऊंची मिलती।
    कमबख्त! ईमानदारी फिर कौनसी शय है
    जो लापता है फिर भी
    किसी भाव में नहीं बिकती।

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  2. क्यूँ की ....हो सकता है की ये बची हो पर आगे बढने की होड़ में हम जबरदस्ती इसे विल्पुतता का दर्जा देने की जल्दबाजी कर रहे हो ???/

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