हिन्दुस्थान, मेरा देश | यहाँ मैं पैदा हुआ, दुनिया देखी, दोस्त बनाये , सपने संजोये और उन सपनो को पूरा करने का दम भरते हुए कोशिश भी की | इस दुनिया के हर माँ-बाप के तरह मेरे माता-पिता भी यही चाहते है की उनका बेटा काफी सफल इंसान बने , उसका काफी नाम हो, क्या गलत चाह लिया उन लोगो ने , कुछ भी नही फिर भी कही न कही कुछ तो कमी रह ही गयी : मेरे अंदर जो की मैं उन सपनो को पूरा करने के बजाय रोज के रोज एक नया सपना संजोने लगा | मैं भूल गया था की मैं उस देश का बेटा हूँ ...जहाँ गरीबो के बच्चों को सपने देखने का कोई हक नही , जहाँ पिज्जा के दाम तो कम होते जा रहे है मगर दवाईयों के बड़ते जा रहे है , जहाँ सांसद तो अच्छा खासा वेतन ले सकते है मगर एक पुलिस हवलदार नही , जहाँ सबको अपने वोट-बैंक की तो परवाह है मगर अपने वोटर्स की नही , जहाँ लोग देश से बाहर जा रहे विद्वानों पर टिका-टिप्पणियां तो आराम से कर सकते है मगर उन्हें अपने ही देश मे वैसी सुविधाए नही दे सकते जिस से की उन्हें देश छोड़ कर जाने की जरूरत ही न महसूस हो |
यही व्यथा हर 1 उस बच्चे के मन मे होती है जो कुछ करना तो चाहता है मगर सिस्टम के हाथो मजबूर हो जाता है , सपने हर कोई देखता है और उनको पूरा करने की कोशिश भी करता है मगर आधे से ज्यादा ख्वाब तो इस भ्रष्ट सिस्टम के हाथो मे ही दम तोड़ देते है | क्या इस देश के ही संतान होने के नाते ये हमारा ही दायित्व नही की हम अपने उन देशवासियों के ख्वाबो की पूरा करने मे मदद करे आखिर कब तक कोई एकलव्य अपना अंगूठा कटवाता रहेगा ? और कब तक पूरा समाज धृतराष्ट्र बना बैठा रहेगा ?....आखिर कब तक ............????
इस आखिर कब तक का कोई जवाब नहीं...बस अपना फर्ज निभाना चाहिए। अच्छा लिखा है
ReplyDeleteकम से कम किसी को तो कोशिश करनी ही चाहिए
ReplyDeletewow!!..
ReplyDeletegreat awesome....
wah bhai... great thoughts...
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