भूखी प्यासी आँतों के बीच
पथराई आँखों के बीच
बेबस बिलखती रूहों के बीच
क्या है सबका मालिक एक??
कोई करोड़ों के महलों में सो नही पाता है
कहीं कोई वृक्ष तले सोने की कोशिश करता है
कोई पकवान पचाने को हाकिम बुलाता है
कोई हाकिम के अभाव में भूखा मर जाता है
फिर क्या हो सकता है इन सबका मालिक एक ??
कोई गरीबों पर सारी दौलत लुटा देता है
कोई किसी बुढ़िया का गल्ला ले भाग जाता है
कोई प्यार ,प्रेम,मानवता,का सन्देश देता है
कहीं कोई मजलूमों पर गोलिया चलाता है
क्या संभव है की हो इन सबका मालिक एक??
अस्पतालों में भी है असमानता
कहीं जच्चा-बच्चा मरते हैं द्वार पर
तो है कोई आई.सी.यू के आरामगाह में ।
कोई डॉक्टर तुम्हारी किडनी और जान ले जायेगा
तो कोई रिक्शा वाला बचाने तुम्हारी जान अपनी दे जायेगा ।।
तो वो प्रश्न फिर सर उठाता है
की क्या है वाकई
हम सबका मालिक एक??
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