माँ की लोरियां
पिता की झिडकियां
दादा-दादी की कहानियां
और दीदी की चुराई मिठाइयाँ
अब आज याद आती हैं ।।
स्कूल से भाग दोस्तों संग
बाग जा जामुन चुराना,
नदी में जा गोते लगाना
पर्वतों पर दौड़ना
और सिनेमाहाल में दस की खरीद
बीस की सीट पर बैठ देखना ,
अब आज याद आते है ।।
रात में छत पर बैठ
भूतों से डरना,आपस में लड़ना
दूध से भरे ग्लास को नाली में देना
बिल्लियों को देख खुद में दुबकना
और किसी की आहट सुन झट से सो जाना
अब आज वो याद आते हैं ।।
चलो आज बीते कल में चलते हैं
फिर से किसी को ठगते हैं
मछलियों संग डुबकी लगा
बादलों संग उड़ जाते है ।
लेकिन .....आज!!!!!!
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