भारत सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य बने, यह मुद्दा आजकल हमारी विदेश नीति की सर्वोच्च प्राथमिकता बन गयी है | कोई भी देश हो और कोई भी भी राजनेता, कोई हमारे देश आया हो या हमारे देश के राजनेता किसी दूसरे देश मे हो , हम उसी तरह संयुक्त
पत्रकार वार्ता मे उस प्रतिनिधि से हमरे दावे का समर्थन करवाने की कोशिश करते है जिस तरह हिंदी फिल्मो मे वकील गवाह से जज के सामने बुलवाने की कोशिश करता है | काफी लम्बे अर्से से हम इसी प्रयास मे लगे हुए है और स्थाई सदस्यों मे से चीन के अलावा सभी देशो ने भारत के पक्ष का समर्थन कर ही दिया | परन्तु क्या इन 5 देशो के समर्थन कर देने भर से भारत स्थाई सदस्य बन जाएगा? जवाब सरल है, नहीं |
यह किस राष्ट्र को या खुद भारत को नही पता की आज अकेले भारत को सुरक्षा परिषद् का सदस्य बनाना संभव नही बल्कि लगभग असंभव है| क्या आज संयुक राष्ट्र के 2 /3 अर्थात सवा सौ राष्ट्र अकेले भारत के लिए ऐसा कोई प्रस्ताव लाने को तैयार हो जायेंगे और सुरक्षा परिषद् का बहुमत और सारे वीटोधारी राष्ट्र उसे मानने को तैयार हो जायेंगे ? भारत ने ऐसा कौन सा चमत्कारी काम कर दिया है की सारी दुनिया उसके चरणों मे लोटने लगे और कहे"हे देवता!आप तुरंत सुरक्षा परिषद् मे स्थाई सीट ग्रहण कीजिये वर्ना संयुक्त राष्ट्र का अस्तित्व ही निरर्थक हो जायेगा|
भारत ने ऐसा कोई काम नही किया और न ही निकट भविष्य मे ऐसा कोई काम करने जा रहा है | साफ़ है जब संयुक्त राष्ट्र का पुनर्गठन होगा तो स्वाभाविक रूप से सुरक्षा परिषद् का भी विस्तार होगा तो उस समय भारत को कौन रोक सकता है ?
हाल ही हुए अस्थायी सदस्यों के चुनाव मे भारत प्रचन्ड बहुमत लेकर चयनित हुआ, स्पष्ट है की जब भी सुरक्षा परिषद् का विस्तार होगा भारत का स्थान सर्वप्रथम होगा
भारत के पक्ष को समर्थन देने वाले कुछ प्रमुख तर्क है :
यह किस राष्ट्र को या खुद भारत को नही पता की आज अकेले भारत को सुरक्षा परिषद् का सदस्य बनाना संभव नही बल्कि लगभग असंभव है| क्या आज संयुक राष्ट्र के 2 /3 अर्थात सवा सौ राष्ट्र अकेले भारत के लिए ऐसा कोई प्रस्ताव लाने को तैयार हो जायेंगे और सुरक्षा परिषद् का बहुमत और सारे वीटोधारी राष्ट्र उसे मानने को तैयार हो जायेंगे ? भारत ने ऐसा कौन सा चमत्कारी काम कर दिया है की सारी दुनिया उसके चरणों मे लोटने लगे और कहे"हे देवता!आप तुरंत सुरक्षा परिषद् मे स्थाई सीट ग्रहण कीजिये वर्ना संयुक्त राष्ट्र का अस्तित्व ही निरर्थक हो जायेगा|
भारत ने ऐसा कोई काम नही किया और न ही निकट भविष्य मे ऐसा कोई काम करने जा रहा है | साफ़ है जब संयुक्त राष्ट्र का पुनर्गठन होगा तो स्वाभाविक रूप से सुरक्षा परिषद् का भी विस्तार होगा तो उस समय भारत को कौन रोक सकता है ?
हाल ही हुए अस्थायी सदस्यों के चुनाव मे भारत प्रचन्ड बहुमत लेकर चयनित हुआ, स्पष्ट है की जब भी सुरक्षा परिषद् का विस्तार होगा भारत का स्थान सर्वप्रथम होगा
भारत के पक्ष को समर्थन देने वाले कुछ प्रमुख तर्क है :
- दुनिया की छठी विधिसम्मत परमाणु शक्ति |
- विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र,जिसका सुरक्षा परिषद् मे होना खुद सुरक्षा परिषद् के लिए गौरव की बात होगी|
- दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश का प्रतिनधित्व |
- निकट भविष्य का विश्व की तीसरी आर्थिक महाशक्ति |
- दुनिया के १५० गुटनिरपेक्ष राष्ट्रों का नेता, जिसका सुरक्षा परिषद् मे होना निश्चय ही तीसरी दुनिया का आनंद का विषय होगा |
- दक्षिण एशिया के राष्ट्र काफी समृद्ध तरीके से उभर रहे है, उनके नेता के तौर पर भारत को सदस्यता मिलनी ही चाहिए |
- एक मजबूत सैन्य ताकत , भारत के अलावा ऐसा कोई राष्ट्र नही जो दक्षिण एशिया, मध्य एशिया और हिंद महासागर मे सुरक्षा और शांति बनाये रख सके|
- भारत ने हमेशा ही संयुक्त राष्ट्र के शांति प्रयासों मे आगे आकर भाग लिया है |
- हर मोर्चे पर आगे बढता हुआ राष्ट्र |
स्पष्ट है सुरक्षा परिषद की जितनी आवश्यकता भारत को है उतनी ही आवश्यकता सुरक्षा परिषद् को भारत की है | किसी के आगे हाथ फ़ैलाने की जरुरत नही ये तो खुद आगे चलकर भारत के पास आने को बेताब है | साभार :-नवभारत टाईम्स(लेख की भावना के लिए )
Good One..
ReplyDeletethanks :)
Deletei did know about this before,good atemp & very well writing
ReplyDeletethank you :)
Deletevery well said bro... keep it up...
ReplyDeletethanks bro )
DeleteRightly said dear..... But thr r many more things that is concern of our INDIA
ReplyDeletesure.....but we must not forget...this is also of great concern
Delete