"भले ही सौ कसूरवार छुट जाये परन्तु एक बेकसूर को सजा नहीं मिलनी चाहिये " न्याय के इस अनूठे सिद्धांत पर कार्य करती है हमारी न्याय पालिका और भारत जो प्राचीन काल से ही अपनी उदारता के लिए जाना जाता है आज एक अपराधी के लिए अपने आदर्शो से कैसे मुहं मोड़ सकता है ?यही तो वो गुण है जो भारत को अनूठा बनाता है । सोचिये जरा कितनी अनूठी है ये प्रथा "जो विदेशी हमला करने आया था जब उसे न्यायपूर्ण सजा दिलाने में यकीन रखती है तो अपने देश के निर्दोष लोगो से कितनी उदारता से पेश आती होगी "। जरा सोचिये पुरे विश्व में भारत की क्या छवि निर्मित हुई होगी ?
कसब गुनाहगार है,आज नहीं तो कल सर्वोच्च न्यायालय उसे सजा सुना ही देगा । पर उसे दण्डित करने की आपाधापी में हम क्यूँ अपने हाथ और कपडे गंदे करे ?अस्तु हमें अपने न्यायप्रणाली पर यकीन तो करना ही चाहिये जो विश्व की सर्वोत्तम हैं क्यूँ की न्याय संगत है तो हो कर ही रहेगा और यदि नहीं हुआ तो वो न्याय ही नहीं और हमारी न्यायप्रणाली न्याय करने के लिए ही निर्मित और जानी जाती है ।
जरा सोचिये एक को जल्दबाजी से दण्डित कर दिया गया तो क्या उसके उपरांत यहाँ एक नयी प्रथा ही प्रारंभ नहीं हो जाएगी जिसमे हो सकता है की हजारों मुजरिमों को दण्डित कर दिया जाये पर इस सम्भावना को नकारने की हिम्मत भी कोई नहीं करेगा की ये 2-4 निर्दोषों की बलि भी ले लेगी । यदि हममें से हर कोई जज बन फैसला सुनाने ही लगा तो वो अराजकता फैलेगी जो थामे न थमेगी ।
अतः प्रभु नाम स्मरण कीजिये और कसाब को सजा मिलने तक इंतज़ार कीजिये ।और हाँ अपने न्यायालयों पर विश्वास बनाये रखें क्यूँ की जैसा मैं पहले भी कह चूका हूँ
"न्याय संगत है तो हो कर ही रहेगा और यदि नहीं हुआ तो वो न्याय ही नहीं"
kis nyaypalika par bharosa kare..
ReplyDeletejaha kitne faisle nirdoshiyo ke jail me marne ke baad atti ha..
this system wants change...
bt who will change it .. these politician....
who don't have time to think on these topics instead they waste valuable money and time of parliament on cartoon of 50 years old...
these are all the questions of priorities ....my brother
ReplyDeletetitle doesn't match the content..!!
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