हर दिन, हर पल हर सांस
अब बस आता एक सवाल है
कि मैं तेरा व तू मेरी कौन है ?
तू मेरी कौन यह जानता हूँ ,
इस संसार को हूँ सकता बतला कि
तू मेरी जान ,मेरा विश्वास मेरा अभिमान है ।
मैं रण में मूर्छित लक्ष्मण ,तू
मेरे प्राण वो संजीवनी है ।
मैं रेत पर तड़पती मछली , व
मेरी तू ज़िन्दगी वो पानी है ।
अब भटकता मैं शरीर , मेरी तू रूह है ।
जिसे हूँ मैं चाहता, तू ही मेरी वह महबूब है ।
मैं हूँ सा एक सुहागन ,मेरा तू श्रृंगार है ।
फिर भी है मेरा दिल पूछता मुझसे,
"बता वो तेरी कौन है ?"
तब कहता हूँ उससे कि ,जैसे
ग्रहों को सूर्य,वर्षा को मेघ व् जीवन को जल
अनिवार्य है , ठीक वैसे ही
"मेरे इस जीवन का अब तू आधार है । "
पूछता फिर वो नादान है कि तो
"मैं तेरा कौन हूँ " जो बता पाना आसान है
उसे हूँ समझाता कि
"वो चाँद मैं उसका चकोर, वह आग मैं पतंगा हूँ ।
है वो शमा मैं परवाना , वह धूल और मैं बूंद हूँ ।
वह तितली मैं फूल , वह कमल मैं गुंजायमान हूँ ।
मैं जीवन वह सांस , वह ऋचा और मैं उसका पाठ हूँ । "
अब वो है जानता की तू मेरी कौन है
लेकिन बात ये अब भी रही अधूरी है ,क्युकी
मेरी ज़िन्दगी में बाकी अब भी
लिखी जानी , तेरी कहानी है ॥