The power of thought

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Friday, June 21, 2013

पिता !!

उसे पैदा करते ही उसकी माँ चल बसी।उसने ही उसे पाल-पोष कर बड़ा किया था।उसकी शराब के नशे के बाद जो कुछ अगर कभी बच गया तो उससे उसका पेट भरता।यूँ ही आधा-पूरा खाते हुए उसने नवयौवन को प्राप्त किया।परन्तु उसका व्यव्हार तब भी वैसा ही था।
एक दिन जब वो बाहर से लौटा तो उसके पास शराब की जगह मिठाई थी।और यह रोज का सिलसिला बन गया।तीन सप्ताह बाद वो उसे घुमाने ले गया , और सड़क के किनारे जा बात करने लगा ,उसे लगा वह उनके घुमने की व्यवस्था कर रहा है। फिर वह एक आदमी और बहुत सारे रुपयो के साथ लौटा।उस आदमी ने उसका हाथ पकड़ लिया और फुसलाते हुए उसे जबरन अपनी गाड़ी की ओर ले जाने लगा।उसने घबरा कर उसकी ओर देखा ,पर वह नोट गिनने में व्यस्त था।
थोड़ी देर बाद वो सहमी,रोते से वापस आयी, उसकी आँखो से आंशु भी गायब थे। उसे आता देख वह खुश हो गया और कहा "चल नाटक मत कर, कल फिर आना है "
वह स्तब्ध सी हो सर झुकाए उसके पीछे चल पड़ी।क्यूँकी वो उसका पिता जो था !!

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