ऑटो वाला
दिल्ली की चिलचिलाती धुप में
सवारी की तलाश में
यहाँ से वहाँ भटकता हुआ,
परेशान दिखता है,वो ऑटो वाला |
घरवालों का पेट पालने को
पांच रुपये की झिक झिक करता है ,
सवारी की गाली सुनकर भी
मंजिल तक पहुंचाता है, वो ऑटो वाला |
संत भाव से निर्लिप्त रह
कनाट-प्लेस की चकाचौंध और
मुनिरका की तंग गलियों से
विरक्त रह ,सवारी तलाशता है,वो ऑटो वाला |
उम्र की ढलान पर
जब होती है चाह आराम की
पालने को घर का पेट
रह भूखे भटकता है, वो ऑटो वाला |
अब दिल्ली की इस कंपकपाती ठंड में
चार पैसे कमाने की जुगत में,
यहाँ से वहाँ भटकता हुआ
सवारी की तलाश में
है परेशान बैठा हुआ वो ऑटो वाला ||