अनंत की तलाश में भटकता हूँ,प्रकाश की डोर तलाशता हूँ |देर रात तक जगता हूँ ,बाँध टकटकी तारे तकता हूँ|वीरान उजाड़ हवेली में अब भी रहता हूँ
मैं अनंत की तलाश में भटकता हूँ ||हर रात डरकर सोता हूँ ,सूरज की किरणों से भी अब घबराता हूँ |क्यूँ जाने से बाहर कतराता हूँ,कुशलक्षेम पूछे को व्याकुल रहता हूँ |माचिस की तीली से भी डर जाता हूँअब हर रात मैं डरकर सोता हूँ ||
मीठी मीठी बातों से झुँझलाता हूँ,तीखे व्यंग्य हंसकर झेल जाता हूँ |दोस्तों के साथ जाने से डर जाता हूँ,दुश्मनों संग बैठ ठहाके लगाता हूँ |किसी पर नही अब विश्वास कर पाता हूँ
क्यूँ मीठी मीठी बातों से झुँझलाता हूँ ||नेताओं की करता पूजा हूँ,प्रताप-शिवा को देता गाली हूँ |दुर्जन संग खुशियाँ लुटाता हूँ,सज्जनो से परे हट जाता हूँ|अमावस की रात चाँदनी नहाता हूँ
मैं अनंत की तलाश में भटकता हूँ ||
it's a blog all about things ..we just cross in our life , realize that these are worth but keep placing a blind eye on them.. it is "Power of Thought"
The power of thought
Saturday, July 16, 2011
अनंत की तलाश में
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